Tuesday, November 27, 2012

भिलाई स्टील प्रोजेक्ट में सप्लायर 
रहा है दिनेश त्रिवेदी का परिवार
  


दुर्ग गंजपारा व्हाया कोलकाता रेल भवन का सफ़र


रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी 9-10 फरवरी 2012 को अधिकारिक प्रवास पर भिलाई स्टील प्लांट पहुंचे थे। 
यहां सार्वजनिक सभा के दौरान खुद उन्होंने भिलाई से अपने बचपन के लगाव को जाहिर किया, इसके बाद ही लोगों को पता लगा कि उनका छत्तीसगढ़ से भी नाता रहा है। 
भिलाई-दुर्ग के कुछ एक परिवारों को छोड़कर शायद ही किसी को इस बारे में मालूम था। उनके दौरे के दो दिन की कवायद के बाद त्रिवेदी के स्थानीय परिजनों से मिल कर उनके यहां से जुड़ाव के तथ्य मुझे मिले-

दुर्ग-भिलाई में निवासरत त्रिवेदी के परिजन भी खुद नहीं चाहते थे कि यह बात सार्वजनिक हो। यहां तक कि परिजन उनसे मिल कर रायपुर से लौट भी आए लेकिन यहां किसी को खबर नहीं हुई। 11 फरवरी को जब मीडिया में त्रिवेदी का भाषण परिजनों ने देखा तब कहीं परिजन रेलमंत्री के निजी जीवन से जुड़ी बातें शेयर करने तैयार हुए। 

परिजनों ने बताया कि रेलमंत्री त्रिवेदी के पिता स्व. हीरालाल त्रिवेदी कराची से हिंदुस्तान आए थे। स्व. हीरालाल ने जहां कोलकाता में अपना कारोबार जमाया वहीं उनके तीन भाइयों स्व. रतिलाल त्रिवेदी,स्व. प्रताप त्रिवेदी और स्व. महिपत त्रिवेदी ने दुर्ग गंजपारा में कारोबार शुरु किया। 

भिलाई स्टील प्रोजेक्ट शुरु होने पर हीरालाल त्रिवेदी ने 1955-56 में एक सप्लायर के तौर पर अपने भाइयों को भी साथ जोड़ा। स्व. रतिलाल त्रिवेदी की पुत्रवधू आर्य नगर दुर्ग निवासी हर्षा बेन त्रिवेदी ने इस बारे में बताया कि गंज पारा में मध्यभारत मिल स्टोर्स के नाम से परिवार की फर्म शुरु हुई थी। जहां से बीएसपी निर्माण का ठेका लेने वाली हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) को सामानों की आपूर्ति की जाती थी। 

गंजपारा में संयुक्त परिवार था और हीरालाल त्रिवेदी कारोबार लगातार बढऩे की वजह से कोलकाता और दुर्ग-भिलाई आते जाते रहते थे वहीं दिनेश भाई के बड़े भाई स्व. प्रवीण भाई और भाभी चंपा बेन त्रिवेदी यहीं दुर्ग में ही रहे। हर्षा बेन के मुताबिक दिनेश भाई की पूरी पढ़ाई कोलकाता और विदेश में हुई लेकिन जब भी छुट्टी लगती तो वो सीधे दुर्ग चले आते थे। 

1975 में जब उनके पिताजी का कारोबार और ज्यादा बढ़ गया तब पूरा परिवार कोलकाता शिफ्ट हो गया। उसके पहले तक हर गर्मी, दशहरा, दीवाली की छुट्टियों में दिनेश त्रिवेदी गंजपारा वाले घर में होते थे। संयुक्त परिवार में जिस तरह का माहौल होता है, ठीक वैसे माहौल हमारे घर में था और दिनेश भाई भी उसमें पूरी तरह रमे रहते थे। 

 रायपुर में मिले आत्मीयता से 

त्रिवेदी के चाचा रतिलाल के पौत्र गौरव त्रिवेदी ने बताया कि सार्वजनिक जीवन में व्यस्त रहने के बावजूद दिनेश भाई अपने परिवार से ई-मेल, फेसबुक और फोन पर संपर्क कायम रखते हैं। 

रायपुर आने की खबर पर गौरव अपनी मां हर्षा बेन, पत्नी उज्जवला त्रिवेदी और नन्हे बेटे नील त्रिवेदी को लेकर रेलमंत्री से मिलने पहुंचे। गौरव के मुताबिक वहां किसी को पता नहीं चला कि हम उनके परिवार से हैं। हम लोगों ने एक पर्ची भिजवाई तो उन्होंने मीडिया को बाहर जाने का आग्रह कर हमें बुला लिया और सबसे पूरी आत्मीयता से मिले। 

इस्पात नगरी के प्रख्यात कथा वाचक उमेश भाई जानी की पत्नी दिव्या भी रेलमंत्री के चाचा रतिलाल त्रिवेदी की पौत्री है। उमेश-दिव्या किसी कारणवश रायपुर नहीं जा पाए। उन्होंने बताया कि अपने प्रवचनों खास कर नशा मुक्ति अभियान की क्लिपिंग जब वह फेसबुक अपलोड करते हैं तो दिनेश भाई के कमेंट सबसे ज्यादा उत्साहवर्धक होते हैं।

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