Thursday, January 1, 2015

अपने जुनून को पहचानिए, सफलता आपके कदम चूमेगी

भिलाई को एजुकेशन हब का दर्जा दिलाने वाले इस्पात नगरी के पहले
आईआईटी टॉपर ने नए साल पर की अपने दिल की बातें

भिलाई के गौरव नवीन बुद्धिराजा अपने  साथ 
 आज से 31 साल पहले स्टील सिटी भिलाई की चर्चा अचानक देश भर में होने लगी थी। हमारे शहर के छात्र नवीन बुद्धिराजा ने आईआईटी-जेईई में जब 1984 में देश भर में टॉप किया था तो बड़े शहरों के शिक्षाविद भी हैरान रह गए थे कि भिलाई में आखिर ऐसा क्या है। डॉ. नवीन बुद्धिराजा ने तब इतिहास बनाया था और उनके बाद से आईआईटी में सर्वाधिक चयन का कीर्तिमान हमारे शहर का कायम है। स्टील सिटी भिलाई को एजुकेशन हब का दर्जा दिलाने वाले डॉ. बुद्धिराजा तीन दशक में अमेरिका सहित दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में कीर्तिमान बना कर हिंदुस्तान लौट चुके हैं और अब प्रतिष्ठित कंपनी इन्फोसिस का हिस्सा हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ.नवीन बुद्धिराजा और इंफोसिस के वर्तमान सीईओ डॉ. विशाल सिक्का इसके पहले एसएपी (यूएसए) में एक साथ काम कर चुके हैं। इसलिए इन्फोसिस की जवाबदारी संभालते ही डॉ. सिक्का ने अपनी टीम बनाई और इसमें सबसे पहले डॉ. बुद्धिराजा को सीनियर वाइस प्रेसीडेंट और हेड आॅफ टेक्नालॉजी बना कर अमेरिका से हिंदुस्तान बुला लिया। नव वर्ष 2015 के आगमन पर भिलाईवासियों को संदेश देने डॉ. नवीन बुद्धिराजा ने की खास बातचीत।
डॉ. नवीन ने अपने दिल की बात कुछ इस अंदाज में की-मेरा तो जन्म ही भिलाई में हुआ है, इसलिए भिलाई को मैं बचपन से जानता हूं। पिता वायर रॉड मिल में मेकेनिकल इंजीनियर थे और मां बीएसपी सेक्टर-9 हास्पिटल में स्त्रीरोग विशेषज्ञ। मेरी बहन फिलहाल दिल्ली में रहती है। भिलाई के बारे में अगर कोई सबसे अच्छी बात बतानी हो तो मैं कहूंगा कि यह एक ऐसी शानदार जगह हैं, जहां आप अपने दोस्तों के साथ केजी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल तक साथ-साथ पढ़ते और बड़े होते हैं। मैं मानता हूं कि भिलाई मेरे परिवार का एक हिस्सा है और भिलाई में बने दोस्त आज भी मेरे सबसे करीबी दोस्त हैं। फिर बाद के दिनों में भिलाई का एक और महत्व मेरे लिए इसलिए भी है कि मेरी जीवन संगिनी सोनल भी मेरे ही शहर भिलाई की है। हमारे वैवाहिक जीवन को 23 साल हो चुके हैं और हमारी दोनों बेटियां आशली और सायली  भी अपना-अपना भविष्य गढ़ रही हैं।
जहां तक आईआईटी-जेईई टॉप करने की बात है तो तब आज की तरह आपाधापी वाली तैयारी तो नहीं होती थी। आज की तरह हम लोगों के पास कोचिंग-ट्यूशन के इतने विकल्प भी नहीं थे। हां, यह जरूर है कि हम लोग स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ घर पर भी खूब पढ़ाई करते थे। मैं खुशकिस्मत था कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले, जिन्होंने मुझे अपने मन की करने की पूरी छूट दी और जहां कहीं भी मुश्किल आई उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया।
जब परिणाम आया तो मैं तो बेहद खुश था। मुझे अपनी सफलता पर पूरा भरोसा था लेकिन सच कहूं तो मैं साल 1984 का टॉपर रहूंगा, ऐसा तो ख्वाब में भी नहीं सोचा था। जब मुझे सबसे पहले साथियों से पता लगा तो मुझे खुद यकीन नहीं हुआ लेकिन अंतत: हमारे प्रिंसिपल एमएन बोरले जी ने मुझे बुलाया और कहा कि यह सच है तब मैं यकीन कर पाया। इसके बाद तो बधाईयों का तांता लग गया। स्कूल से लेकर हमारे घर तक हर कोई बधाई देने आता था। यहां तक कि इनमें ऐसे बहुत से होते थे, जिन्हें हम जानते भी नहीं थे। लेकिन यह सब मेरे भिलाईवासी थे, जिन्होंने मेरी सफलता में अपना भी गर्व महसूस किया। भिलाई के लोगों की शुभकामनाएं मुझे आज भी मिलती रहती हैं और मैं मानता हूं कि भिलाई की यही मेरी अनमोल पूंजी है।
आईआईटी टॉप करने के बाद मैनें आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली। फिर मैनें कॉरनेल यूनिवर्सिटी न्यूयार्क (यूएसए) से पीएचडी की। इसके बाद मैनें आईबीएम, अमेजॉन और एसएपी जैसी बहुत सी कंपनियों में सेवाएं दी। वर्तमान में मैं इन्फोसिस का हिस्सा हूं। देश-दुनिया में जहां भी रहूं अपने भिलाई के लोगों से मुलाकात हो ही जाती है और तब सब कुछ भूल कर मैं अपने शहर भिलाई के बारे में बात करने में ज्यादा रोमांच महसूस करता हूं। सभी भिलाईवासियों को नए साल 2015 की दिली मुबारकबाद।
भिलाई के छात्रों के लिए कहा-
मैं स्टीव जॉब्स का प्रशंसक रहा हूं। जॉब्स का कथन है कि-‘जीवन आपको सिर्फ एक बार मिलता है, इसलिए इसे दूसरों के हिसाब से जी कर व्यर्थ मत करो।’ मेरे शहर भिलाई के छात्रों से मैं यही कहूंगा कि आज अपना फैसला लेने के लिए आप लोगों के पास विकल्प बहुत से हैं। आज जो भी जानकारी चाहिए, आप के पास इंटरनेट सहित ढेर सारी सुविधाएं मौजूद हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि आप अपने अंदर के जुनून को पहचानो, इसके बाद तय है सफलता आपके कदम चूमेगी।