Saturday, April 16, 2016

घने जंगल के बीच बसा है एक घर का राजस्व गांव 

राजस्व रिकार्ड में शुरू से गांव का दर्जा, रहता है सिर्फ  एक परिवार,देश-विदेश में हैं बच्चे


बंजारीडीह गांव और एकमात्र घर 
घने जंगल के बीच महज एक घर। वह भी पूरी तरह से आबाद। प्रशासनिक रिकार्ड में यह आज भी गांव का दर्जा रखता है। गांव की आबादी महज 25 लोगों की है। इनमें भी बच्चे देश-विदेश में पढ़ रहे हैं। पूर्ण साक्षर, पूरी तरह जागरुक और सर्वसुविधायुक्त यह गांव है बालोद जिले के अंतिम छोर में बसा बंजारीडीह।
आम तौर पर जंगलों के अंदर इक्का-दुक्का घरों के वनग्राम बहुतायत पाए जाते हैं लेकिन अंचल में बंजारीडीह  संभवत: अपनी तरह का इकलौता राजस्व ग्राम है। इस इलाके में चल रही मोहड़ जलाशय परियोजना का मुख्य बांध इसी बंजारीडीह गांव की सीमा पर ही बनना है।
रिजर्व फारेस्ट से होकर जाता है बंजारीडीह का पहुंच मार्ग

ऐसा नहीं कि इस गांव में कभी दूसरे परिवार बसे नहीं। दरअसल घने जंगल के बीच में होने की वजह से यहां बसने वाले ज्यादातर परिवार एक या दो साल में ही यहां से चले गए। वर्तमान में यहां सुंदरा बालोद के मूल निवासी दाऊ भारत सिंह देशमुख के वंशज पूनम कुमार देशमुख, स्व.ऋषि कुमार और ललित कुमार का परिवार एक ही घर में रह रहा हैं। 100 साल पहले यहां आकर बसा देशमुख परिवार आज भी खेती कर रहा है। देशमुख परिवार के वरिष्ठ सदस्य पूनम कुमार देशमुख बताते हैं कि पहले तो बिजली तक नहीं थी और जंगली जानवरों का खतरा बहुत ज्यादा था। बारिश में तो गांव करीब डेढ़ महीने तक बाहरी दुनिया से कटा रहता था। इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारे पूर्वजों ने जब गांव नहीं छोड़ा तो हम कैसे छोड़ सकते हैं। पूनम बताते हैं कि-हमारे दादाजी ने जेवरतला से रूपसिंह साहू परिवार को यहां लाकर बसाया था। इसी तरह राज्य शासन ने भी 4 किसानों को जमीन देकर यहां बसाने का प्रयत्न किया था। लेकिन सब कुछ साल बाद यहां से चले गए। अब कोई 16-17 परिवार की यहां खेती की जमीन है, जो समय-समय पर खेती के नाम से आते हैं लेकिन यहां स्थाई रूप से रहने कोई नहीं आता।
इस तरह जेठासी में मिला था जंगल के बीच का गांव 
पूनम कुमार देशमुख 
पूनम देशमुख बताते हैं-हमारे परिवार के पितृपुरुष दाऊ भारत सिंह देशमुख का मूल गांव बालोद के समीप सुंदरा व जगतरा है। गांधी जी के सिद्धांतों पर चलने वाले भारत दाऊ ने तमाम पैतृक संपत्ति अपने छह भाईयों में बांट दी थी। इस त्याग से अभिभूत होकर इन छह भाईयों ने भारत दाऊ के इकलौते बेटे धारा सिंह देशमुख को 105 एकड़ रकबा वाला बंजारीडीह गांव जेठासी (ज्येष्ठ को उपहार) में दिया था। धारा सिंह के दो बेटे पन्नालाल और खम्हनलाल हुए। इनमें स्व. पन्नालाल के 5 बेटे अर्जुन सिंह, परसराम , स्व. पीलालाल, बसंत और पीलेश्वर हुए। इन सभी की काश्तकारी की जमीन बंजारीडीह में है लेकिन निवास आस-पास के गांवों में है। वहीं खम्हनलाल के तीन बेटों पूनम कुमार, स्व. ऋषि कुमार और ललित कुमार का परिवार आज भी बंजारीडीह में रह रहा है।
बच्चे पढ़ रहे देश-विदेश में 
बंजारीडीह गांव पूरी तरह समृद्ध और शिक्षित है। साक्षरता का आलम यह है कि यहां सभी 'निवासीÓ पढ़े-लिखे हैं। वहीं इनकी नई पीढ़ी अब देश-विदेश में पढ़ाई कर रही है या फिर कर चुकी है। पूनम कुमार देशमुख का बड़ा बेटा प्रतुल कुमार देशमुख रशिया में एमडी की पढ़ाई करने गया हुआ है। छोटा बेटा राहुल देशमुख इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुका और बिटिया बीसीए कर रही है।
कभी पत्नी तो कभी पति बनते हैं पंच 
त्रिभुवन व सुनीता (बारी-बारी से पंच )
ग्राम पंचायत कुदारी दल्ली के अंतर्गत आश्रित ग्राम बंजारीडीह वार्ड-7 का दर्जा रखता है और महज एक घर वाले इस गांव में प्रशासनिक कामकाज के लिहाज से जनप्रतिनिधि (पंच) भी हंै। यहां देशमुख परिवार के त्रिभुवन देशमुख-सुनीता बाई देशमुख (बेटा बहू) बारी-बारी से पंच बनते हैं। दरअसल राजनीतिक रूप से भी इस इलाके के तमाम गांव बेहद जागरुक है। यही वजह है कि कुदारी दल्ली ग्राम पंचायत में आज तक जनप्रतिनिधि सर्वसम्मति से निर्वाचित होते आए हैं। जिसके चलते कभी चुनाव की नौबत नहीं आई। फिलहाल बंजारीडीह का प्रतिनिधित्व सुनीता बाई कर रही है। जरूरत पडऩे पर उनके पति और पूर्व पंच त्रिभुवन देशमुख उनके कामकाज में मदद कर देते हैं। सुनीता बाई बताती हैं,यहां सबसे बड़ी समस्या पहुंच मार्ग की है। यहां पहुंच मार्ग की जमीन वन विभाग के अंतर्गत संरक्षित वन क्षेत्र (रिजर्व फारेस्ट) में आती है। मोहड़ बांध परियोजना में मुख्य बांध का प्रस्तावित इलाका बंजारीडीह से लगा हुआ है। ऐसे में जल संसाधन विभाग वालों ने भरोसा दिलाया है कि उनका अमला यहां पहुंच मार्ग बना कर देगा। लेकिन यह भी भविष्य के गर्त में है।

एक मकान वाले गांव की खास बातें 
गोबर गैस का इस्तेमाल
संरक्षित वन क्षेत्र से होकर जाता है गांव का रास्ता
आबादी 25 लेकिन रहते हैं 11 लोग, बाकी बच्चे देश-विदेश में पढ़ रहे
उन्नत और आधुनिक खेती है आय का मुख्य जरिय
तत्कालीन दुर्ग जिले के प्रथम शत-प्रतिशत साक्षर गांव में से एक
गोबर गैस का शत-प्रतिशत इस्तेमाल
 बालोद व राजनांदगांव दोनों जिले का बिजली कनेक्शन इस गांव में

'' ये जानना काफी रोचक है कि जंगल के अंदर मात्र एक घर वाला राजस्व गांव है। मैं एक बार जाकर जरूर देखना चाहूंगा। अगर वहां किसी प्रकार के कार्यों की जरूरत है तो जिला प्रशासन जरूर करवाएगा।'' 
राजेश सिंह राणा, कलेक्टर बालोद