Monday, May 16, 2016

बहन की मौत का दर्द सीने में दबाए महफिल 

में गाती रहीं सुषमा श्रेष्ठ, बजती रहीं तालियां 

प्रख्यात पाश्र्वगायिका सुषमा श्रेष्ठ भिलाई में अपना कार्यक्रम दे रही थी और मुंबई 

में उनकी बहन की मौत हो गई, 45 साल पहले पिता भी ऐसे ही पल में दुनिया छोड़ गए थे

मोहम्मद जाकिर हुसैन/भिलाई
स्टील क्लब में सुषमा (पूर्णिमा) श्रेष्ठ 
प्रख्यात पाश्र्व गायिका सुषमा (पूर्णिमा)  श्रेष्ठ  14 मई 2016 शनिवार की रात स्टील क्लब सेक्टर-8 में एक से बढ़ एक शानदार गीत सुना रही थी। गीत सुनाते हुए वह थोड़ी उदास जरूर थी लेकिन अपने मन की बात उन्होंने ज्यादा लोगों से शेयर नहीं की । उनके एक-एक गीत पर खूब-खूब तालियां बजी, वाहवाही हुई और लोग इसके बाद घर भी चले गए। लेकिन यह बहुत कम लोगों को मालूम था कि जिस वक्त सुषमा सुरों की तान छेड़ रहीं थीं, उनके सीने में बहन की मौत का दर्द कसक मार रहा था। सुषमा जब भिलाई के लिए रवाना हुई थी तो उनकी बड़ी बहन देव्यानी वेंटीलेटर पर थीं जिनका शनिवार 14 मई की सुबह निधन हो गया।
सुषमा रविवार की सुबह ही मुंबई रवाना हुई है। उनके जाने के बाद जिसे भी पता चला सभी उनके इस जज्बे को सलाम कर रहा है। वैसे, सुषमा के साथ यह दुर्योग दूसरी बार हुआ है। करीब 45 साल पहले ऐसे ही एक बड़े कार्यक्रम के ठीक पहले उनके पिता भी ह्दयघात से चल बसे थे।
इंटरव्यू के दौरान 
7 साल की उम्र से फिल्मों में पाश्र्वगायन शुरू करने वाली सुषमा श्रेष्ठ बाद के दौर में पूर्णिमा के नाम से गाने लगीं।

आज वह अपनी 7 साल की पोती की दादी बन चुकी हैं।  प्रो. डॉ. टी.उन्नीकृष्णन के साथ एक कंसर्ट 'तू जो मेरे सुर में' पेश करने 13 मई को वे भिलाई पहुंची थीं। आयोजन की तैयारियां करीब छह माह से चल रही थी। इसलिए सुषमा यहां आते ही रिहर्सल में जुट गर्इं। तब तक उनकी बड़ी बहन देव्यानी को मुंबई के एक हास्पिटल में वेंटीलेटर पर रखा जा चुका था। इसके बावजूद बिना विचलित हुए सुषमा अपने रियाज में लगी रहीं। शायद उन्हें उम्मीद थी कि कोई राहत की खबर आएगी। लेकिन 14 मई की सुबह बहन की मौत की खबर आ गई। ऐसे में आयोजकों ने उन्हें ढांढस बंधाया और घर जाने की सलाह दी। लेकिन सुषमा ने घर वालों खास कर अपने जीजा से बात की और फिर कंसर्ट के बाद 15 मई की सुबह ही घर जाने की बात कही। आयोजकों को उनकी बात माननी पड़ी। सुषमा के साथ आई एक सहायिका ने बताया कि देव्यानी उनकी कजिन थी और संयुक्त परिवार में सब एक साथ पले-बड़े हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि बहन का अचानक चले जाना उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं होगा।
ऐसे ही एक शो के ठीक पहले पिता गुजर गए थे 
पिता भोला श्रेष्ठ के साथ सुषमा
आयोजन से ठीक पहले सुषमा ने संक्षिप्त बातचीत में बताया कि 45 साल पहले भी परिवार में ऐसा ही हादसा हुआ था। मुंबई में रह रहे पंजाब मूल के लोगों की संस्था पंजाब एसोसिएशन का सालाना जलसा 12 अप्रैल 1971 को होना था। इसमें राजकपूर अंकल, दारा सिंह जी, प्राण साहब और बीआर चोपड़ा जी जैसी बड़ी बड़ी पंजाबी हस्तियों के सामने अपनी परफ ार्मेंस को लेकर मैं बहुत उत्साहित थी। पिताजी भोला श्रेष्ठ प्रख्यात संगीतकार खेमचंद्र प्रकाश के सहायक थे। वे भी लगातार मुझे तैयारी करवा रहे थे। अचानक 11 अप्रैल को दिल का दौरा पडऩे से पिताजी का देहांत हो गया। ऐसे गमगीन माहौल के बावजूद लोगों ने मुझे किसी तरह कार्यक्रम मे परफ ार्म करने राजी कर लिया। मैनें अगले दिन 12 अप्रैल को प्रोग्राम दिया। तब पिताजी की जगह नरेंद्र चंचल जी ने मेरे साथ संगत की। शो सफ ल रहा और इसके बाद पंजाब एसोसिएशन ने मुझे स्कालरशिप दी।
रवि ने दिया साथ 'तेरा मुझसे है...' में
 तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई......
स्टील क्लब में 14 मई की रात सुषमा (पूर्णिमा) श्रेष्ठ  और प्रो. डॉ. टी.उन्नीकृष्णन ने मिलकर 4 दशक के सुपरहिट हिंदी, मलयाली, तेलुगू और बंगाली गीतों से समां बांध दिया। सुषमा ने अपनी परफ ार्मेंस के दौरान लोगों को यह एहसास नहीं होने दिया कि उनके घर में कोई दुखद घटना घटी है। हालांकि 1973 की फिल्म 'आ गले लग जा' के गीत 'तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई' शुरू करते वक्त उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि यह गीत स्व. राहुल देव बर्मन और मेरे बिछड़े परिजनों को समर्पित है। इसके बाद गाते वक्त कुछ देर के लिए उनका गला रुंध गया। इसी गाने में एक पल ऐसा भी आया जब सुषमा गाते-गाते स्टेज से नीचे उतरी और सामने बैठे भिलाई स्टील प्लांट के ईडी वक्र्स एम. रवि ने माइक संभााल लिया। रवि ने इस गाने का पूरा एक अंतरा गाया और फिर सुषमा ने भी उनका पूरा साथ दिया। इसके बाद पूरी महफिल तालियों से गूंज उठी।

सुषमा/पूर्णिमा की पहचान है ये गीत 
1. है न बोलो-बोलो,  पापा को मम्मी से... (अंदाज)
2. तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई... (आ गले लग जा)
3. यादों की बारात निकली है आज दिल के द्वारे... (यादों की बारात)
4. एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल... (धरम-करम)
5. बड़े अच्छे लगते हैं ये धरती, ये नदिया... (बालिका बधू)
6. इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो न... (अंकुश)
7. तूत्तू तू तुत्तू तारा, तोड़ो ना दिल हमारा... (बोल राधा बोल)
8. बरसात में जब आएगा सावन का महीना... (मां)